YE PAL BACHPAN KE
Sunday, June 6, 2010
Sunday, March 21, 2010
DAUGHTERS DAY 2010
B I T I Y A I N O F F I C E
आज का दिन मेरे लिए बहुत अनोखा था । मै आस्था सेठी अपने मम्मी पापा की दूसरे नम्बर की बेटी हूँ । यूँ तो मेरे इए हर दिन ही डॉटर डे होता है पर राजस्थान पत्रिका ने ऐसा अभियान चला कर हम बेटियो को अद्भुत अनुभव प्रदान करवाया है ।
सुबह उठते ही पापा ने मुझे हैपी डॉटर डे कहा । मुझे स्कूटी सिखाने का विचार ना जाने कितने दिनों से पैडिंग था । सुबह उठते ही पापा ने कहा “ अरे बिटिया ऑफिस जाएगी तो स्कूटी तो चलानी आनी ही चाहिए। ” और पापा मुझे स्कूटी सिखाने ले गए ।
मै बहुत उत्साहित थी स्कूटी की पहली ड्राइविंग पर।
घर आई तो मम्मी मेरे और पापा के लिए नाश्ता बना रही थी । मम्मी कहने लगी “आज मेरी बिटिया ऑफिस जाएगी ”
मैं नहा कर तैयार थी । मम्मी ने मुझे ऑफिस के अनुसार एग्ज़ीक्युटिव ड्रेस्-अप होने में मदद की ।
मैं पापा के साथ बैंक आ गई । मेरे पापा राजेन्द्र सेठी सिंडिकट बैंक में मैनेजर (प्रबन्धक) पद पर हैं । सबसे पहले पापा ने कम्प्यूटर पर लॉगिंन करना बताया। फिर बैंक की तिज़ोरी के बारे में बताया। बैंकिंग का बेसिक फण्डा बताया कि हम ग्राहकों का पैसा सुरक्षित रखते हैं और उन्हे ऋण सुविधा भी देते हैं। लेकिन उनके पैसे पर कम ब्याज देते है और ऋण पर अधिक ब्याज लेते हैं । यह ब्याज का अंतर ही बैंक की इनकम है । मुझे बेहद अच्छा लग रहा था पापा की बातें सुनकर । फिर पापा ने मुझे कम्प्यूटर की स्क्रीन पर अपना और दीदी का खाता दिखाया कि कैसे हम किसी ग्राहक का बैलेंस देखते हैं । सामने खड़े कुछ ग्राहकों को पापा ने मेरे सामने ही बैलेंस बताया । पापा मुझे अपने बैंक में ही लगी हुई ए.टी.एम. मशीन दिखाने ले गए । उन्होंने अपना ए.टी.एम कार्ड डालकर पैसे निकाले । मैं हैरान थी उस मशीन को देखकर ।
वापिस आए तो केन्द्रीय विद्यालय के प्रिंसीपल आए हुए थे । पापा ने बताया कि केन्द्रीय विद्यालय के बोर्ड के पेपर भी हमारे यहाँ लॉकर में पड़े रहते हैं । “ अरे वाह ! पेपर की भी इतनी सुरक्षा ।” मैं आश्वस्त भी हुई कि हमारे पेपर का भी ध्यान रखा जाता है । भई मैं भी तो इस बार दसवीं का बोर्ड का एग्ज़ाम दूँगी । पापा ने मुझे लॉक़र भी बताया और केन्द्रीय विद्यालय के प्रिंसीपल साहब को पेपर सौंपे । पापा के सीनियर मैनेजर ने मुझे बैकिंग की जांकारी दी और मुझे चाय भी पिलाई । पापा के सभी स्टाफ के सदस्यों ने मेरी उपस्थिति पर खुशी ज़ताई और काम के कुछ टिप्स दिए । पापा की बैंक के सद्स्य ने ही हमारी फोटू खींची । और मैं खुशी-खुशी घर लौट आई।
आज का दिन मेरे लिए अद्भुत अनुभव वाला था ।यह सब राजस्थान पत्रिका के सौजन्य से ही संभव हुआ है ।
वरना पापा के बैंक तो कईं बार गई थी पर काउण्टॅर के बाहर से वापिस आ जाती थी । पर आज पापा की सीट पर बैठने का मौका मिला बल्कि बैंक की कार्य प्रणाली की जानकारी भी मिली। थैंक यू पत्रिका ।Thursday, February 11, 2010
BIG BOOGI BOOGI DANCE MASTI 2010 BIKANER
I seriously felt glad that i took part in this dance competition. Dance is my hobby and if one's hobby gets a stage and even a prize,everyone can feel that joy of excitement.It's my parents who made my dream possible by sacrificing their precious time in my practices during this competition. I wholeheartedly thanks GOD for my wonderful achievement and very specially my mother who cooperated me a lot during boogo boogi.
Sunday, February 7, 2010
Tuesday, December 22, 2009
I WANT TO..................
I WANT TO BECOME LATA MANGESHKAR
THAT I CAN FILL EVERYONE'S HEART WITH MELODY
I WANT TO BECOME KALPANA CHAWALA
THAT I CAN EXPERIENCE THE LIFE OF A BIRD
I WANT TO BECOME I.A.S
THAT I CAN TAKE RIGHT DECISIONS FOR THE BETTERMENT OF OUR COUNTRY
I WANT TO BECOME MOTHER TERESA
THAT I CAN HELP THE POOR
I WANT TO BECOME DOCTOR REDDY
THAT I CAN SAVE MANY LIVES
I WANT TO BECOME A TRUE DEVOTEE
THAT GOD CAN MAKE ME A COMPLETE GIRL